तुलसी विवाह कब मनाया जाता है
हिन्दू धर्म के अनुसार “तुलसी विवाह” (Tulsi Vivah) एक प्राचीन हिंदू परंपरा है जिसमें तुलसी (पवित्र तुलसी) और भगवान विष्णु के बीच का विवाह के रूप में मनाया जाता है। यह हर साल दिवाली के बाद आने वाली कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष एकादशी पर भगवान विंष्णु के शालीग्राम को माता तुलसी का विवाह का दिन मना जाता है यह कही कही पर इसे के दूसरे दिन यानि द्वादशी के दिन भी मनाते है या ऐसा भी कह सकते है की अंग्रेज़ी कैलेंडर के अक्टूबर-नवंबर महीने के आसपास मनाया जाता है।
तुलसी विवाह क्यों मानते है? (Tulsi Vivah Kyo Manaya Jata Hai?)
तुलसी विवाह के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसमे कहा जाता है कि एक समय में जलंधर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। वह बहुत शक्तिशाली था और उसे कोई भी हरा नहीं सकता था।
क्योंकि उनकी पत्नी वृंदा एक पतिव्रता थी। जो की खुद भी एक राक्षस कुल से थी परन्तु वह बचपन से ही भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। वह अपने पति की सेवा करती थी।
ऐसा कहा जाता है की एक बार जब जालंधर इंद्र देव से युद्ध करने गया तो जाते समय उनकी पत्नी उसके लिए भगवन विष्णु के सामने पूजा संकल्प लेकर बैठ गई, ताकि उसके पति को कोई मर न सके।
ऐसा हुआ भी जलंधर को इन्द्र देव भी नहीं हरा सके, तो सभी देवता मिलकर भगवन विष्णु के पास गए उनसे विनती करने लगे। भगवन विष्णु ने कहा की वो मेरी परम भक्त है मै उसके साथ छल कैसे कर सकता हु। फिर इंद्रदेव बोले फिर आप ही कोई रास्ता निकले तब भगवन विष्णु ने जालंधर का रूप लेकर वृंदा के पास गये और जैसे ही वृंदा ने भगवन विष्णु को अपना पति समझ कर वो उनके चरण स्पर्श किया उनका पूजा से ध्यानभंग हो गया।
उधर देवो ने जलंधर का सिर धड़ से अलग कर दिया और सर आकर वृंदा के समीप आकर गिरा और जब सिर ऊपर किया तो देखा की भगवन विष्णु ने जलंधर का रूप धरण किया था। उसके बाद भगवन अपने असली स्वरुप में आ गये और वो कुछ बोलते इसके पहले वृंदा ने भगवन विष्णु को श्राप दे दिया की, आप अभी से पत्थर के हो जाये।
ऐसा होते ही तीनो लोको में हाहाकार मच गया। सभी देवता मिलकर वृंदा से प्रार्थना की उसके बाद वृंदा ने अपना श्राप वापस ले लीय और वो अपने पति का सिर लेकर चिता पर बैठ कर सती हो गई। उनकी राख से एक पौधा निकला तब भगवन विष्णु ने उस पौधे का नाम तुलसी रखा,और कहा, मै इस पत्थर के रूप में रहुंगा जिसे सालिग्राम कहेंगे और सालिग्राम और तुलसी की पूजा एकसाथ ही की जायेगी।
तभी से कार्तिक मास में सालिग्राम जी का विवाह तुलसी जी के साथ किया जाता है।
तुलसी विवाह 2022 (Tulsi Vivah 2022)
2022 वाले साल में तुलसी विवाह शनिवार को पड़ रहा है शनिवार, 5 नवम्बर , 2022
तुलसी विवाह 2023 (Tulsi Vivah 2023)
2023 में तुलसी विवाह दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाई जाये गी जो को गुरुवार, 23 नवम्बर , 2023