सरस्वती गायत्री मंत्र (Saraswati Mantra) एक पवित्र वैदिक मंत्र है जो देवी सरस्वती को समर्पित है, माँ सरस्वती हिंदू धर्म में ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान और सीखने की देवी माना जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से देवी सरस्वती का आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
नीचे सरस्वती गायत्री मंत्र और उनके फल के बारे में वर्णन किया गया है।
सरस्वती गायत्री मंत्र (Saraswati Gayatri Mantra)
ॐ वाक्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
“Om Vakdevyai Ch Vidmahe Kamarajaya Dhimahi. Tanno Devi Prachodayat.”
सरस्वती गायत्री मंत्र का सामान्य विवरण। (General Description of Saraswati Gayatri Mantra):
“ॐ” (Om): सार्वभौमिक ध्वनि, जिसे सृष्टि की मूल ध्वनि माना जाता है।
“वाक्देव्यै” (Vakdevyai ): देवी सरस्वती को वाणी और ज्ञान की देवी के रूप में पूज्यनीय है।
“विद्महे” (Vidmahe): इस शब्द का अर्थ है “हम ध्यान करते हैं।”
“कामराजाय” (Kamarajaya): इच्छाओं को पूर्ण करने वाली माता सरस्वती है।
“धीमहि” (Dhimahi): इस शब्द का अर्थ है “हम आप का चिंतन करते हैं”।
“तन्नो” (Tanno): इस शब्द का अर्थ है “हम आप से प्रार्थना करते हैं”।
“देवी” (Devi): हे माता सरस्वती।
“प्रचोदयात्” (Prachodayat): आप हमारा मार्गदर्शन करे।
सरस्वती गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ। (Meaning of Saraswati Gayatri Mantra in Hindi):
जो ओम की करक है वाणी और विद्या की देवी के रूप में पूज्य है। हम उनका ध्यान करते है। इच्छाओ को पूर्ण करने वाली माता सरस्वती हम आप का चिंतन करते हैं।
हम आप से प्रार्थना करते हैं हे माता सरस्वती आप हमारा मार्गदर्शन करे।
सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप कब करे। (Saraswati Gayatri Mantra Ka Jaap kab kare)
सुबह उठकर स्नान करने के बाद माता सरस्वती की मूर्ति के सामने बैठ कर हाथ जोड़ कर इस मंत्र का जाप करनी चाहिए। वैसे आप इस का जाप कभी भी कर सकते है लेकिन अगर सुबह उठ कर आप करते है तो इसका अच्छा फल मिलता है।
सरस्वती गायत्री मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए। (Saraswati Gayatri Mantra ka jaap kitni baar karna chahiye)
इस मंत्र का जाप १०८ या ११०८ बार कर सकते है